ख़बर गवाह - साक्षात्कार
आज का साक्षात्कार नाम है कबड्डी के। राजस्थान में कबड्डी का जब भी नाम आता है तो सीकर का ज़िक्र
भी होता है और राजस्थान कबड्डी एसोसिएशन उभर कर सामने आती है। यह बात सच है कि प्रो कबड्डी के बाद कबड्डी को एक नई पहचान मिली है। इससे पहले कबड्डी कबीलाई गाँवों का खेल हुआ करता था और इसे
ग्रामीण अंचल में काफी बढ़ चढ़कर खेला जाता था। इस कबड्डी को लेकर आज हम आपके सामने पेश कर रहे हैं राजस्थान कबड्डी एसोसिएशन
के ज्वाइंट सेक्रेट्री एवं सीकर के जिला अध्यक्ष जगदीश सिंह फौजी से हुई
भेंटवार्ता के कुछ अंश...
सवाल 1: आपने कबड्डी एसोसिएशन को ज्वाइन करने से पहले की
स्थिति थी उसके बाद वर्तमान स्थिति को लेकर क्या कहना चाहेंगे? उत्तर- सबसे पहले
ख़बर गवाह का शुक्रिया। जहां तक कबड्डी का सवाल है, यह सच
है कि प्रो कबड्डी के बाद कबड्डी को एक नई पहचान मिली है। यह भी सच
है कि ये कबिलाइयों के गाँवों का एक अभिन्न खेल रहा है कबड्डी और ग्रामीण अंचल
में काफी खेला जाता रहा है। लेकिन जिस प्रकार से कबड्डी को अब
एक कैरियर के रूप में आज देखा जा रहा है मैं कहना चाहूंगा कि इसमें और प्रो कबड्डी
के रूप में इस खेल को पहचान दिलाने का काम हमारे दिवंगत हो चुके वर्तमान कबड्डी
के महामहिम जनार्दन जी गहलोत का अहम योगदान है जिसे हम भूला नहीं सकते। उन्हीं के प्रयासों के कारण कबड्डी फर्श से अर्श तक पहुंची है। इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि कबड्डी अब एक अहम खेल बन चुका है। यह ताकत और दिमाग के संतुलन का खेल है। जहां तक तुलनात्मक रूप से बात की जाए तो जब मैंने कबड्डी
एसोसिएशन जॉइन किया था तब कबड्डी को बहुत ज्यादा आगे ले जाने की जरूरत थी। बहुत ज्यादा समर्थन की जरूरत थी और कबड्डी को संबल की जरूरत थी। हमने जिला स्तर से लेकर हर स्तर पर कबड्डी को एक नई पहचान दिलाने के लिए जो
कुछ भी हम से बनता था हमने किया और आगे भी करते रहेंगे। सच यह
भी है कि अपरिपूर्ण को सुधार की गुंजाइश होती है हालांकि हम और भी अच्छा करना
चाहेंगे। युवाओं में कबड्डी को लेकर एक अच्छा खासा क्रेज देखा जा सकता है जिसे भूनाया
जाना चाहिए और हमारा पूरा प्रयास इसके लिए रहेगा ताकि युवाओं को बेहतरीन दिशा दी
जा सके। यह हमारा ही प्रयास है कि एक समय था कि सीकर जिले की कबड्डी दूसरे जिलों
से पीछे थी आज काफी सुधार करते हुए राजस्थान के बाद अगर कबड्डी में नाम आता है
तो वह सीकर जिला ही है। सवाल 2: जिला प्रशासन का कबड्डी और अन्य खेलों के संदर्भ में कैसा रुख है, क्या आप
कहना चाहेंगे? उत्तर - जी डॉ. साहब, अगर समग्र रूप से देखा जाए तो किसी
अधिकारी या किसी पद पर बैठे व्यक्ति के लिए कुछ बोलना मुनासिब नहीं होगा लेकिन
एक खिलाड़ी होने के नाते खिलाड़ी की भावना से अगर बात की जाए तो सीकर में खेल
अधिकारी का खेलों के प्रति जैसा रवैया होना चाहिए वैसा अपेक्षित रवैया फिलहाल
मौजूद नहीं है। हालांकि पूर्व में जितने भी खेल अधिकारी रहे हैं उनका रवैया
खेलों को लेकर बेहद संजीदगीभरा एवं काबिले तारीफ रहा है। वे हर
एक एक्टिविटी को वह एक अच्छे तरीके से करते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से खेलों की
गतिविधियों को लेकर उदासीनता का माहौल सामने आ रहा है। ज्यादा
कुछ ना कहते हैं उम्मीद करते हैं कि जिला कलेक्टर जल्द ही संज्ञान लेंगे इस
मामले में और खेलों के प्रति जो उदासीन रवैया है उसमें तब्दीली आएगी। हालांकि सरकार खेलों को लेकर बहुत अच्छे अच्छे प्रयास कर रही है लेकिन
सरकारों का प्रयास तब तक अच्छा नहीं होता जब तक उसका अच्छा इंप्लीमेंटेशन यानी
क्रियान्वयन नहीं किया जाए। सवाल 3: आप राज्य कबड्डी के लिए नेशनल टीम के सिलेक्टर्स तौर पर
भी अच्छी खासी भूमिका निभा रहे है, इस नाते आप से सीकर के संदर्भ में हम पूछना
चाहेंगे कि यहाँ के खिलाड़ी कबड्डी को लेकर ऐसी कौन सी टेक्निक्स का यूज करें
ताकि वह अपने प्रदर्शन को बेहतरीन करते
हुए अपने कैरियर में निखार ला सकें? |
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उत्तर –खिलाड़ियों के नजरिए से बहुत ही बेहतरीन सवाल आपने किया है, डॉ. साहब। मैं कहना चाहूंगा कि हमारे यहां एक प्रवृत्ति चली आ रही है और वह है एक हीरो के रूप में उभर कर सामने आने की। हालांकि प्रवृत्ति अच्छी है लेकिन प्रवृत्ति को दिशा सभी ने एक ही तरफ दे रखी है। खेल में जब तक संतुलन ना हो तब तक खेल अच्छा नहीं हो सकता। कबड्डी में ऑफेंस और डिफेंस दोनों ही ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर आपको बैलेंस अर्थात ऑलराउंडर बनने का प्रयास खिलाड़ियों को करना चाहिए। मैंने काफी पहले से ही यह काम शुरू कर दिया था कि कबड्डी के हर क्षेत्र, हर स्तर पर हमें ऑफेंस और डिफेंस दोनों को ही मजबूत करना है। हम ये प्रयास कर भी रहे हैं। किसी टीम में कोई खिलाड़ी जितना ऑलराउंडर बनेगा उतना ही
ज्यादा इस खेल में सफल हो पाएगा। इसलिए मैंसंतुलित खेल का प्रदर्शन करना होता है।
हमारे यहां ज्यादातर खिलाड़ी रेडिंग पर ही ध्यान देते है। यह सच भी कि एक रेडर सबको दिखता है लेकिन साथ ही में यह
बात भी सच है एक डिफेंडर भी सबको दिखता है। एक खिलाड़ी को सोचना होगा कि सिर्फ एक
रेडर के बल पर मैच को नहीं जीता जा सकता, अच्छा प्रदर्शन नहीं किया जा सकता।
इसलिए यह जो धारणा चली आ रही है सिर्फ रेडर बनने की इसमें तब्दीली करते हुए खिलाड़ियों
से कहना चाहूंगा कि आप ऑलराउंड प्रदर्शन की ओर ध्यान देते हुए आप कबड्डी में
अपने कैरियर को नई ऊंचाइयां दे सकते हैं। परिणामों की ओर ध्यान दे तो 68 साल बाद
महिलाओं की जो कबड्डी प्रतियोगिता थी उसमें राजस्थान मेडल जीत पाया है और इस मेडल
के पीछे हमारी ही ऑलराउंडर बनने की मेहनत एवं बनाने की मेहनत रंग लाई।
खिलाड़ियों और पूरी एसोसिएशन का समग्र प्रयास रंग लाया। यह सामूहिक प्रयास जो
हमने किया उसी की बदौलत कामयाब हुए और इसमें भी जो मेडलिस्ट महिलाएं हैं उनमें
दो सीकर जिले की है। इससे पूर्व हुए 68 में पुरुष प्रतिस्पर्धा में भी
हमारा एक खिलाड़ी सीकर का मेडलिस्ट रहा है। जूनियर में भी खूब बेहतरीन लड़कियां
प्रदर्शन कर रही हैं और लड़के भी प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी हाल ही में आयोजित राज्यस्तरीय
प्रतियोगिताओं सहित तीन खिलाड़ी सीकर जिले के निकल कर गए हैं जो चौगान स्टेडियम
में प्रैक्टिस कर रहे। गर्व की बात है। सवाल 4: खेल और नियम दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, खेल में जो
नियम होते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ऐसे में राजस्थान कबड्डी
एसोसिएशन और आपने इनको लेकर अभी तक क्या काम किया है, क्या कहना चाहेंगे? उत्तर - डॉ. साहब इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि नियम और खेल एक दूसरे के पूरक हैं। देखा जाए तो बिना नियमों के कोई खेल होता ही नहीं है। जब आप खेल रहे होते हैं तो सबसे पहली सीढ़ी नियमों की जानकारी ही होती है, जो आपको होनी चाहिए। अन्यथा खेलेंगे क्या, आपको खुद को ही पता नहीं होता। किसी भी खेल में खिलाड़ी को दो स्टेजों से होकर गुजरना पड़ता है। पहली स्टेज होती है बेसिक, बेसिक में आपको सीखने के लिए बेसिक टेक्निक्स मिलती है, थोड़ी बहुत नियमों की जानकारी भी होती है, जो मोटे-मोटे तौर पर आपको बताई जाती है। दूसरी स्टेज होती है एडवांस्ड यानी उच्चत्तर, जहां पर बहुत कुछ बारीकी के साथ बहुत कुछ बताया जाता है और हर एक अपडेट्स के साथ आपको अपडेट भी किया जाता है। कुल मिलाकर जो दूसरी स्थिति है, उस स्थिति तक उन लोगों को पहुंचाया जाता है जो आगे खेल को कैरियर के रूप में अपनाते हैं। कोई भी खेल जब आप शुरुआती दौर में खेलते हैं और वहां पर आपको नियमों की अच्छी तरह से जानकारी होती है तो आपकी सफलता के चांसेज और ज्यादा बढ़ जाते हैं। ऐसे में हमारी एसोसिएशन बनने के बाद जहां कहीं हम गए है चाहे वह ग्रामीण अंचल हो या शहरी, या स्कूल इस तरह हर स्तर पर हम नियमों की जानकारी देते आ रहे हैं। हमारे गांव कटराथल, भादवासी, कुडली, बेरी या फिर रशीदपुरा, फतेहपुर कहीं पर भी। |
जहां कबड्डी का मैच होता है वहां पर हमारी एसोसिएशन के लोग जाते हैं और नियमों की जानकारी तो देते ही हैं साथ ही में यह भी देखते हैं कि एंपायर की गुणवत्ता क्या है। हालांकि अम्पायरिंग की गुणवता तुलनात्मक रूप से कम ही देखने को मिलती है। बहुत बार खिलाड़ी असंतुष्ट हो जाते हैं निर्णय से, लिहाजा हमने यह महसूस किया कि अभी एंपायर को भी अपडेट करने की जरूरत है, अपग्रेड करने की जरूरत है और हम उसके लिए भी लगातार प्रयास कर रहे हैं। चाहे वह जिला स्तर हो
या राज्य स्तरीय या फिर ग्रामीण स्तर, हर एक स्तर पर हम कोशिश कर रहे हैं। हमारे
आने वाले प्लान में यह बात शामिल की जा रही है और इस पर चर्चा हो रही है कि हम
भी अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत एक परीक्षा का आयोजन करें और एंपायर जो कबड्डी
के बनते हैं उनको ट्रेनिंग देकर सर्टिफिकेट जारी करें। इससे फायदा यह होगा कि वह
नियमों की जानकारी अपने खिलाड़ियों को देंगे ही साथ ही एक बेहतरीन निर्णय मैच के
दौरान करेंगे तो खेलने वाले देखने वाले दोनों को बराबर आनंद आएगा। सवाल 5: आप अपनी काबिलियत और तजुर्बे की कारण न केवल जिला अपितु
राज्य स्तर पर भी बेहतरीन मुकाम बनाए हुए हैं, ऐसे में राज्य सरकारों के खेल के फैसलों
लेकर आप क्या कहना चाहेंगे? और विशेषकर क्या सुझाव सरकार को देना चाहेंगे जिससे
खेलो में सुधार किया सके? उत्तर – डॉ. साहब, हाल ही में राज्य सरकार ने 2 परसेंट
कोटा आरक्षित कर नौकरियों में खेलों का महत्व देने का जो प्रयास किया है वह
काबिले तारीफ है। इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है सरकार किसी की भी हो, कोई
भी पार्टी हो, जब खेलों को बढ़ावा देती है तो अच्छा लगता है। अशोक गहलोत सरकार
ने यह अच्छा कदम उठाया है, इसकी कबड्डी एसोसिएशन प्रशंसा करता है और साथ ही में
हम सुझाव यह देना चाहेंगे कबड्डी हो या दूसरे खेल हर एक खेल को एक अच्छा संरक्षण
मिलना चाहिए। सरकारों को चाहिए कि वह थोड़ा बजट आवंटन और करें ताकि खिलाड़ियों
को अच्छी सुविधाएं मुहैया हो सके और कोई भी खिलाड़ी किसी पैसे के अभाव में,
सुविधा के अभाव में पिछड़ें नहीं और एक गौरव जो प्राप्त कर सकता है वह करने में
सक्षम रहे, सफल रहे। खेलों के सीधे संबंध की बात है तो मैं कहना चाहूंगा कि
फिलहाल खेलों के रूप में या तो रेलवे या आर्मी देखती है या फिर राजस्थान पुलिस
देखती है। ऐसे में आज जरूरत है कि राजस्थान के तमाम सरकारी विभागों को भी पहल
करते हुए खेलों को आगे बढ़ाना चाहिए। जैसे बैंकिंग वाले बढ़ा रहे हैं तो इनको
जिला स्तर,राज्य स्तर पर भी आगे आना चाहिए और काम करना चाहिए ताकि खिलाड़ियों का
मनोबल बढ़े। सभी को ऐसे प्रयास करना चाहिए ताकि प्रतिस्पर्धा स्वस्थ स्वरूप पैदा
हो सके और इस प्रतिस्पर्धी युग में खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अपनी
प्रतिभा सबके सामने रख सके। परिणाम देश को खेलों के क्षेत्र में एक नया आयाम मिल
सकेगा। सवाल 6 - अंतिम सवाल आपसे करना चाहेंगे कि आप वर्तमान में
जो खिलाड़ी खेल रहे हैं एवं जो नौजवान जो खिलाड़ी के रूप में अपना कैरियर बनाना
चाहते हैं उनको क्या आप संदेश देना चाहेंगे जो उन्हें मार्गदर्शन साबित हो सके। उत्तर – मैं युवाओं को कहना चाहूंगा कि अगर आप एक खिलाड़ी
बनना चाहते हैं तो सबसे पहले तय कीजिए कि आप खिलाडी बनना चाहते हैं और उसके बाद
चुनिए उस खेल को जिसमें आप रुचि रखते हैं। इसके बाद आप खेल में आप लगातार सजक रहते
हुए आप आगे बढ़े। एक खेल में जो भी एसेंशियल चीजें हैं जैसे – समय का पाबंध
होना, लगातार प्रेक्टिस करना और उसके बाद अपने प्रदर्शन को बनाए रखते हुए खेलना
शामिल है। ये सब आपको सफलता से मिलाने वाले गुर ही हैं। ख़बर गवाह का एक बार पुन:
शुक्रिया। |
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