ख़बर गवाह
सीकर 27 जनवरी। कृषि विज्ञान केंद्र फतेहपुर द्वारा सुपारी और मसाला विकास निदेशालय कालीकट, केरल द्वारा संचालित एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत मसाला उत्पादन तकनीक पर एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में जिले के 100 से अधिक महिला-पुरुष किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. आर. के. दुलड़ ने बताया कि देश के बीजीय मसालों के कुल उत्पादन का 80% हिस्सा राजस्थान एवं गुजरात में पैदा होता है। बीजीय मसालों के कुल उत्पादन में राजस्थान का क्षेत्रफल कि दृष्टि से प्रथम स्थान है। राजस्थान में जीरा, धनिया, मैथी एवं सोंफ प्रमुख बीजीय मसालों के रूप में उगाये जाते है। डॉ दुलड़ ने बताया कि मसाला फसलों के मूल्य सवंद्धर्न तकनीकों के विकास तथा सही मार्केटिंग क्षमता द्वारा किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. महेश चौधरी ने उत्पादन बढ़ाने संबंधी नई तकनीकियो के बारे में जानकारी साझा की। केन्द्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार ने भी मसाला खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रखी है। शस्य वैज्ञानिक डॉ. लालाराम ने कहा कि कृषि से पूर्व मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से पोषकता की जांच कराएं। साथ ही उन्नत बीजों एवं बेहतर फसल प्रबंधन के बारे में तकनिकी जानकारी दी। पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र कुमार ने बीजीय मसाला फसलों में लगने वाले रोग एवं बिमारियों के बारे में विस्तृत जानकारी साँझा की व बताया कि मसालों की खेती के लिए जानकारी के साथ देखभाल और सजगता की जरूरत होती है। डॉ. सी. एल. खटीक ने बताया कि भारतीय मसाला बोर्ड सहित अन्य संस्थानों ने मसाला खेती के नए तरीके इजाद करने के साथ ही नई किस्म के बीज तैयार किये है, जिससे कि कम समय में अधिक गुणवत्ता वाले मसालों का उत्पादन किया जा सकता है।
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