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अक्षय तृतीया (आखातीज), पीपल पूर्णिया एवं अन्य अवसरों पर होने वाले बाल विवाह आयोजनो की प्रभावी रोकथाम के सम्बन्ध में दिशा— निर्देश
सीकर 13 मार्च। जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि राज्य सरकार बाल विवाह की कुरीति को जड़ से समाप्त करने हेतु कटिबद्ध है। बाल विवाह को रोकने के ये समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। हमें वर्ष भर कर्मठता से इस कुप्रथा को समाप्त करने के सार्थक प्रयास करने होंगे।
उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया (आखातीज), पीपल पूर्णिया पर अबूझ सावा होने के उपलक्ष्य में बाल विवाहों के आयोजन की प्रबल सम्भावनाऐं रहती है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह अपराध है. जिसकी रोकथाम हेतु आवश्यक दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने के प्रावधान है, जिससे कि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को रोका जा सके। बाल विवाह रोकथाम के लिए संबंधित विभिन्न प्राधिकरणो, विभागों के बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत कार्यों का निवर्हन किया जाता है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक उपखण्ड स्तर पर कन्ट्रोल रूम स्थापित कर प्राप्त प्रकरणों पर तत्काल बाल विवाह आयोजनों को रोकने संबंधी कार्यवाही सुनिश्चित की जाये तथा बाल विवाह आयोजनों को रोकने संबंधी कार्यवाही सुनिश्चित की जाये तथा बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम हेतु जिले में निम्न कार्यवाही भी सम्पन्न कराया जाना सुनिश्चित करें-
जिला कलेक्टर डॉ. यादव ने बताया कि बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम के लिये ग्राम एवं तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों, अधिकारियों, वृत्ताधिकारी थानाधिकारीगण, पटवारियों, भू-अभिलेख निरीक्षकों, ग्राम पंचायत सचिवों, ग्राम सेवकों, कृषि पर्यवेक्षकों, महिला विकास अभिकरणों तथा महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों, पर्यवेक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षा विभाग के अध्यापकों, नगर परिषद एवं नगर पालिका के कर्मचारियों, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्यों, सरपंचों तथा वार्ड पंचों के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करने एवं आम जन को जानकारी कराते हुये जन जागृति उत्पन्न करने एवं बाल विवाह रोके जाने के लिये कार्यवाही की जाये। बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने का दायित्व वहन करें तथा बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिले के लिए कलेक्ट्रेट में (उप निदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, सीकर में) एवं उपखण्ड के लिए उपखण्ड अधिकारी के कार्यालयों में कन्ट्रोल रूम स्थापित किया जावे जो 24 घण्टे कियाशील रहेंगें।
उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, राजस्व आदि विभागों के अधिकारियों, कार्यकर्ताओं तथा महिला एवं किशोरी समूहों की टीमें गठित कर उन्हें बाल विवाहों के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों के बारे में जागरुकता फैलाने, रैलियां आयोजित करने, संदेश प्रसारित करने तथा बाल विवाह न करने के संकल्प कराने के कार्यक्रम आयोजित किये जाये। सामूहिक चर्चा से मिली जानकारी के आधार पर गाँव, मौहल्लों के उन परिवारों में जहाँ बाल विवाह होने की आशंका हो, समन्वित रूप से समझाईस करें। जहाँ आवश्यक हो कानून द्वारा बाल विवाहों को रोका जायें।
उन्होंने कहा कि समस्त उपखण्ड मजिस्ट्रेट अपने क्षेत्र में विधिक विभाग से सामंजस्य स्थापित कर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित करावें तथा उपखण्ड स्तर पर उक्त संबंध में संबंधित अधिकारियो एवं जनप्रतिनिधियो के साथ बैठक का आयोजन करें तथा बैठक कार्यवाही विवरण इस कार्यालय में भिजवाना सुनिश्चत करें।
किशोरी स्कूल जाने वाली स्कूल बीच में छोड़ देने वाली बालिकाओं के मेले आयोजित कराकर उनमें बाल विवाह न करने के निर्णय लेने की क्षमता विकसित करावे व पढाई में रूचि रखने के लिए प्रोत्साहित करावें। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनिययम 2006 की धारा की धारा 16 के तहत सभी उपखण्ड अधिकारी उनके क्षेत्र के लिये बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त है बाल विवाहों को रोकने के वें शासन के प्रति जवाब देह भी है। अतः उनके क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
जिला कलेक्टर ने बताया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, सीकर द्वारा जन प्रतिनिधियों को जनसमुदाय में बाल विवाह न करने के निर्णय, संकल्प करावें। ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करावें।
जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी, सीकर विवाह आयोजकों, मददगारों, कार्ड छापने वाले प्रिन्टर, पंडित,
हलवाई, लाईट, बैंड बाजा, मेरिज गार्डन, वाहन मालिकों, बाराती, पण्डाल व टैन्ट लगाने वाले तथा ट्रान्सपोटर्स को प्रचार-प्रसार मीडिया के माध्यम से विवाह में अपने उत्तरदायित्व निभाने से पूर्व लड़के-लड़की की आयु नियमानुसार हो यह सुनिश्चित करने, बाल विवाह में सहयोग न करने एवं विवाह के लिए छपने वाले निमन्त्रण पत्र में वर-वधु की जन्म तारीख प्रिन्ट करने की अपील जारी करें।
जिला ब्लॉक व जिला स्तर पर गठित सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सकिय करावें।
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