भारत सरकार के कीटनाशी प्रबंधन सर्टिफिकेट कोर्स (पीएमसीसी) के
प्रमाण पत्रों के वितरण का कार्यक्रम गुरूवार को कृषि विभाग परिसर स्थित आत्मा
प्रशिक्षण हॉल में समारोह पूर्वक सम्पन्न हुआ। समारोह
में कीटनाशी प्रबंधन सर्टिफिकेट कोर्स को सफलता पूर्वक पास करने वाले सीकर व
नीमकाथाना जिलों के 40 कृषि आदान (बीज, खाद, कीटनाशी) विक्रेताओं को इस कोर्स के प्रमाण
पत्र दिये गये। ये प्रमाण पत्र राज्य कृषि प्रबंध संस्थान
दुर्गापुरा, जयपुर के डायरेक्टर ईश्वर लाल यादव तथा स्टेट कोऑर्डिनेटर एस. एस.
राजावत के हस्ताक्षरों से जारी किए गए हैं।
कीटनाशी प्रबन्धन प्रमाण पत्र वितरण समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त
निदेशक कृषि खण्ड सीकर डॉ. होशियार सिंह रहे। समारोह
के विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक कृषि-खंड, सीकर रामनिवास
पालीवाल, संयुक्त निदेशक उद्यान खण्ड सीकर शिवजी राम कटारिया,उपनिदेशक
कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा श्रीमती प्रिया झाझड़िया, प्रशिक्षण
के फैसिलिटेटर पूर्व उप निदेशक कृषि भागीरथ मल सबल, सहायक निदेशक
उद्यान रामरतन स्वामी, सहायक निदेशक कृषि सर्जन सिंह बाजिया, कृषि अधिकारी
सरिता मुवाल तथा जिला कृषि आदान विक्रेता संस्थान के सीकर जिला अध्यक्ष मनोज बजाज
रहे। इस दौरान साफे व मालाएं पहनाकर, शॉल
ओढ़ाकर तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया गया।
जिला कृषि आदान विक्रेता संस्थान के सीकर जिला अध्यक्ष मनोज बजाज ने
बताया कि 12 सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद 17 दिसंबर 2023 को कृषि आदान विक्रेताओं
की लिखित और मौखिक परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा
में जगदीश प्रसाद को प्रथम, जयप्रकाश अग्रवाल को द्वितीय तथा दिनेश सिंह
जाखड़ एवं आशाराम खीचड़ को संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त करने पर स्मृति
चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अति. निदेशक कृषि खण्ड सीकर
डॉ. होशियार सिंह ने कहा कि देश के कृषि उत्पादन व खाद्य भण्डार में बढ़ोतरी के
साथ किसानों की आय बढ़ाने में स्वयं किसान के साथ साथ कृषि वैज्ञानिक, कृषि
अधिकारी और कृषि आदान विक्रेताओं की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। सिंह ने कहा कि कृषि आदान विक्रेता कृषि तकनीक हस्तांतरण की
महत्वपूर्ण कड़ी हैं। नवीनतम कृषि
तकनीकों व ज्ञान को किसानों तक पहुंचाने में कृषि आदान विक्रेताओं की भूमिका
महत्वपूर्ण थी, है और रहेगी। सिंह ने कहा कि
राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित की जाने वाली खरीफ व रबी फसलों की सिफारिशों की
पुस्तक मंगवाकर कृषि आदान विक्रेता उन्हें नियमित रूप से पढ़ते रहें तथा उसमें
बताई गई कृषि विधियों, तकनीकों और बीज, खाद , कीटनाशकों की सिफारिशों को किसानों को बताते
रहें।
विशिष्ट अतिथि संयुक्त निदेशक कृषि-खंड, सीकर रामनिवास
पालीवाल ने कहा कि कृषि आदान विक्रेताओं का कर्तव्य है कि वे कीटनाशी प्रबन्धन के
बारे में प्रशिक्षण के दौरान मिली जानकारियों और ज्ञान को किसानों तक पहुंचाकर
किसानों को लाभ पहुंचाएं तथा अच्छी गुणवत्ता के बीज, खाद, कीटनाशी
उपलब्ध करवाकर किसानों का विश्वास बनाए रखें।
समारोह को सम्बोधित करते हुए कृषि अधिकारियों ने कीटनाशी प्रबन्धन
सर्टिफिकेट कोर्स (पीएमसीसी) के प्रमाण पत्र की निर्धारित योग्यता प्राप्त करने के
लिए कृषि आदान विक्रेताओं को बधाई और शुभकामनाएं दीं तथा प्रशिक्षण में प्राप्त
जानकारियों से किसानों को लाभान्वित करने का आह्वान किया। अधिकारियों
ने कहा कि 30 जून से पूर्व इस प्रमाण पत्र को राज किसान पोर्टल पर ओनलाईन दर्ज
करवाकर तथा उसकी प्रतिलिपि कृषि विभाग में जमा करवाकर अपने प्रतिष्ठान के कीटनाशी
लाइसेंस को लाइफटाइम (जीवन भर के लिए) बनवा कर निर्बाध रूप से व्यवसाय चलाएं और
किसानों की सेवा करें।
इस अवसर पर खरीफ सीजन के लिए 13, 14 व 16 जून को
पंचायत समिति वार आयोजित किए जाने वाले कृषि आदान विक्रेताओं के प्रशिक्षण शिविरों
की सूचना दी गई तथा इनमें अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए कृषि आदान
विक्रेताओं को निर्देशित किया गया। समारोह में कृषि
आदान विक्रेताओं की ओर से संस्थान के जिला अध्यक्ष मनोज बजाज तथा महासचिव दिनेश
सिंह जाखड़ ने सीकर में 12 माह के देसी (डीएईएसआई) प्रशिक्षण कोर्स आयोजित करवाने
की मांग रखी।
कृषि आदान विक्रेता संस्थान के जिला अध्यक्ष मनोज बजाज ने बताया कि
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य प्रबन्धन संस्थान (एनआईपीएचएम),
हैदराबाद
के माध्यम से व गाइडलाईन के अनुसार तथा नेशनल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, उपनिदेशक
कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा, सीकर के द्वारा 30 सितम्बर से 16 दिसम्बर तक
कुल 12 सप्ताह तक चलाया गया। इसके तहत सीकर व
नीमकाथाना जिलों के 40 कृषि आदान विक्रेताओं के बैच को 8 दिन (सप्ताह में एक दिन
शनिवार को) चार पीरियड में कीटनाशी एक्ट, कृषि उत्पादन में कृषि आदानों की भूमिका,
महत्व
तथा प्रयोग की विधियों सम्बन्धी विभिन्न तकनीकी जानकारियां दी गई थीं तथा 4 दिन
कृषि महाविद्यालय, कृषि अनुसंधान केंद्र एवं कृषि विज्ञान केंद्र, दुग्ध
डेयरी एवं उद्यान नर्सरी, कृषि अनुसंधान केंद्र, मिट्टी परीक्षण
प्रयोगशाला, प्रगतिशील किसानों के ग्रीन हाउस,शेडनेट व खेतों
का भ्रमण करवाया गया था। कार्यक्रम के
अंत में सवाई माधोपुर में हुए कार हादसे में दिवंगत कृषि आदान विक्रेता कैलाश
रेवाड़ तथा मुकुन्दगढ़ निवासी शर्मा परिवार के दिवंगत जनों के लिए दो मिनट का मौन
रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई तथा घायल बच्चों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की
प्रार्थना की गई।
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