सांसद का.अमराराम ने साढ़े तीन महीने से मनरेगा मजदूरों के बकाया पर उठाए तीखे सवाल

  सीकर,(एम.सादिक )। सांसद कामरेड अमराराम व भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राजस्थान राज्य सचिव  कामरेड किशन पारीक ने मनरेगा मजदूरों के साढ़े तीन महीने के बकाया भुगतान पर केन्द्र व राज्य सरकार की नेकनीयती पर तीखी टिप्पणी करते हुए अविलंब भुगतान जारी करने की न्यायोचित मांग की है।

  


 मनरेगा को कांग्रेस का स्मारक बता कर उसकी खिल्ली उड़ाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आरम्भ से ही मनरेगा को खत्म करने की नीति रही है। वो तो कोविड काल में जब सारे काम धाम बंद हो गये थेतब मनरेगा ही ग्रामीण क्षेत्र में आजीविका चलाने का एक मात्र साधन रह गया था। उस दौरान इसकी जरूरत को देश में ही नहीं वल्कि विश्व पटल पर अर्थशास्त्रियों ने भी पहचाना और इस योजना का लोहा मानकर इस योजना की सराहना की।

अब यह स्वीकार्य तथ्य है कि ग्रामीण क्षेत्र में निचले तबके की आजीविका चलती रहने के लिए मनरेगा अत्यंत जरूरी है।  गौर करने वाली बात है कि राजस्थान में जहां साढ़े तीन महीने का मनरेगा मजदूरों का भुगतान बकाया हैवहीं पूरे देश के स्तर पर 25000 रूपये गत वर्ष के बकाया हैं जबकि केन्द्र सरकार ने इसके लिए 65000 करोड़ रुपये का बजट रखा था।  जिसके 25000/- करोड़ रुपये बकाया हैं और राजस्थान में इसके अलावा साढ़े तीन महीने से  बकाया हैं जो सरकार की नेकनीयती तथा उसकी कथनी और करनी के दोहरे मापदंड को साफ उजागर करता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री जनसुनवाई करते जगह जगह फिर रहे हैं। इन मजदूरों की सुनवाई न होनाजन सुनवाई नौटंकी बनकर रह जाती है।

     सांसद का. अमराराम और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की राजस्थान राज्य कमेटी के राज्य सचिव कामरेड किशन पारीक ने राजस्थान सरकार  व केन्द्र सरकार से इस मामले में बिना देर व हिला हवाली किये तत्काल 25000/- करोड़ रुपये सहित राजस्थान के साढे़ तीन महीने का मनरेगा मजदूरों का बकाया भुगतान के जारी करने की पूरजोर मांग की है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि जब खुद प्रधानमंत्रीमुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री अपने वेतन में एक दिन  की देर बरदास्त नहीं करते हैं तो इन सबसे नीचे पायदान के मजदूरों के बकाया भुगतान की भारी लेट लतीफी जो खुद उनकी अनदेखी के कारण हैके बारे में उनकी कलम और जूबान क्यों नहीं चलती है।

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